अब वहां मिलती है जिंदगी

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स्थापित होने के 38 साल बाद शुरु हो सका शासकीय आयुष औषधालय पंचशीलनगर
मलबे और अतिक्रमण में दबे अस्पताल का कायाकल्प, आते हैं रोजाना सैकड़ों मरीज


ब्यूरो, भोपाल

अब वहां मिलती है जिंदगी
बीते 38 साल से अतिक्रमण और गंदगी के ढेÞर में दबा शासकीय आयुष औषधालय पंचशील नगर अब नए स्वरुप में सामने आ रहा है। बेहतर व्यस्था और त्वरित इलाज के चलते आने वाले मरीजों का सालाना आंकड़ा 30 हजार को पार कर गया है। सुबह से ही मरीजों की लाइन लगने लगती है, जिसमें आस पास के इलाकों के साथ ही करोद, बैरागढ़ से लेकर अयोध्या तक से होते हैं। जल्द ही यहां पर पंचकर्म की सुविधा भी मरीजों को मुहैया होगी।पंचशील नगर का आयुष अस्पताल धीरे-धीरे गुमनामी की गर्त में खो गया था। अस्पताल के सामने गुमठी और पक्की दुकाने बनाकर अतिक्रमण कर लिया गया था। कचरे के ढेÞर लगे थे और सूअरों ने गड्ढा खोद ड़ाला था, जिसमें गंदा पानी भरा था। यहां आने वाले को अस्पताल के बजाय यहां पर मलबे और गंदगी के कारण कचरे घर का अहसास होता था। ऐसे में अक्टूबर, 2010 को यहां पदस्थ होने वाले डॉ. आरएस परिहार ने इसके पुनर्जीवन का बीड़ा उठाया और नए सिरे से योजना बनाकर क्रियान्वयन शुरु करवाया। दिन रात की मशक्कत के बाद अस्पताल का पुनर्जन्म हुआ और वर्तमान में पंचशील नगर, बंगाली कालोनी, राहुल नगर, सेकेंड स्टाप, हर्ष वर्धन नगर, पत्रकार कालोनी, तुलसीनगर आदि से लेकर करोद, कोलार और अयोध्या तक से मरीज आ रहे हैं।

डॉ. आरएस परिहार
अस्पताल के लिए लड़ाई
इस भवन का निर्माण 1974-75 में जिला आयुष औषधालय बनाने के लिए किया था। हालांकि, यहां कभी जिला चिकित्सालय संचालित नहीं किया जा सका। बल्कि, नूतन कॉलेज के सामने चार ई-टाइप शासकीय आवासों का आवंटन करवाकर जिला आयुर्वेद अस्पताल संचालित किया जा रहा है। ऐसे में पंचशील नगर का अस्पताल कमोबेश लावारिस हालत में होने से अतिक्रमण की चपेट में आ गया और सुअरों का अड्डा बन गया। इसके आस पास तीन एकड़ जमीन थी, जिसको बाद में शिक्षा विभाग को आवंटित कर दिया गया। अस्पताल के कई कमरों पर शिक्षा विभाग का कब्जा हो गया और बाकी जमीन को रसूखदारों ने दबा लिया। यहां से अतिक्र मण हटाने से लेकर बांउड्रीवॉल, शेड बनवाने और गेट लगवाने के लिए डॉ. आरएस परिहार ने अथक प्रयास किए। जनप्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों को सुधार योजना में सहयोग के लिए सहमत किया।  


नए सिरे से सुधार 
अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर हो गई थी, जिसकी छतों का प्लास्टर उखड़कर लटक रहा था और दीवारों पर दरारें पड़ गर्इं थी। फर्श पर कीचड़ भरा रहता था। दरवाजे और खिड़कियों की चोरी हो चुकी थी। ऐसे में अस्पताल को सुधारने के लिए नए सिरे से मरम्मत करवाई गई और पूरे अस्पताल में टाइल्स लगवाए गए। इस अस्पताल के 38 साल के बाद बिजली आई है, जिसकी फिटिंग का काम अभी जारी है। प्रदेश का पहला अस्पताल है, जहां आयुष का मोनो बना होने के साथ ही शासकीय स्वास्थ्य योजनाओं के बारे में जानकारी देने वाले पोस्टर और होर्डिंग्स हैं। मरीजों को दवाएं सीधे हाथ में देने के बजाय पैकिंग पॉलीथीन में दी जाती है। इसके साथ ही पंचकर्म केंद्र बनाया जा रहा है। इसके लिए क्षेत्रीय विधायक एवं गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने 3 लाख रुपए की निधि दी है। 

साप्ताहिक शिविर का आयोजन
औषधालयऔषधालय में किसी भी एक बीमारी पर केंद्रित साप्ताहिक शिविर का आयोजन होता है। डॉ. आरएस परिहार के अनुसार त्वचा विकार, गठियावात, सर्दी जुकाम, खांसी, पाइल्स (अर्श), मौसमी बुखार आदि के मरीजों को दवा के साथ ही समझाइश दी जाती है। गौरतलब होगा कि इस क्षेत्र में पानी की पाइप लाइन में लीकेज के कारण पीलिया, पेट दर्द, उल्टी, बुखार के साथ ही खुजली आदि बीमारियों का प्रकोप हमेशा ही रहता है।
 

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मरीजों का आंकड़ा
वर्ष रोगी नए रोगी पुराने
2011 19,183 5,895
2012 19,905 9,190
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स्टाफ बढ़ाने की मांग

मोना लिसाअस्पताल में नियमित इलाज करवाने वाले रिटायर डिप्टी सेके्रट्री बीपी गोयल, अयोध्या नगर कहते हैं कि अब मरीजों की भीड़ बहुत होती है, जिससे डॉक्टर और स्टाफ बढ़ाया जाना चाहिए। इस्माइल खान के अनुसार अस्पताल तो इतना बढ़िया हो गया है कि अब 1250 अस्पताल जाने की जरुरत नहीं। रिटायर अधिकारी हरीकृष्णा दत्ता और रमेश लहरिया का कहना है कि मीलों दूर से पंचशील नगर बेहतर इलाज के लिए आते हैं। सिर्फ एक ही डॉक्टर होने से लाइन लंबी होती जाती है, ऐसे में स्टाफ बढ़ाया जाए।