किस्मत चमकाने दूर - दूर से आते हैं लोग

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तालाब के आसपास चल रहीं सैकडों हीरा खदानें
उथली खदानों से इस वर्ष 492 नग हीरे मिले 


अरुण सिंह, पन्ना


तालाब के आसपास चल रहीं सैकडों हीरा खदानें
हीरा धारित चाल में हीरों की खोज करते श्रमिक
बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती में बेशकीमती हीरों का अकूत भण्डार मौजूद है. लेकिन हीरों की उपलब्धता वाली अधिकांश भूमि वन क्षेत्र में होने के कारण अब ज्यादातर हीरे की खदानें निजी पट्टे वाली खेती की जमीन पर संचालित हो रही हैं. पन्ना शहर के निकट स्थित कमला बाई तालाब के आसपास डेढ़ सौ से भी अधिक हीरा खदानें चल रही हैं, जहां अपनी किस्मत को चमकाने हीरों की तलाश हेतु पड़ोसी जिलों छतरपुर, सतना व बांदा उ.प्र. के सैकड़ों लोग झोपड़ी बनाकर सालों से  डेरा डाले हुए हैं. इनमे से कितनो की किस्मत चमकी और कितनो की नहीं, यह सिर्फ हीरों के व्यापारी या दलाल ही जानते हैं, जिसका कभी खुलासा नहीं होता .

उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले में हीरा धारित पट्टी का विस्तार 70 किमी. में है. यह उत्तर पूर्व दिशा में पहाड़ीखेरा से प्रारंभ होकर दक्षिण पश्चिम दिशा में मझगवां तक फैला है. जिले में फैले इस हीरा धारित क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा वन क्षेत्र में आता है, नतीजतन हीरा कार्यालय द्वारा यहां हीरा उत्खनन हेतु पट्टे नहीं दिए जा सकते. सिर्फ राजस्व भूमि में खदान चलाने हेतु पट्टा प्रदाय किया जाता है. पन्ना शहर के आसपास तकरीबन साढ़े तीन सौ वर्षों से उथली हीरा खदानें चलती आ रही हैं, ऐसी स्थिति में हीरा धारित राजस्व भूमि न के बराबर बची हैं. पन्ना सरकिल में कमला बाई तालाब, रक्सेहा, दहलान चौकी, पटी व सकरिया में हीरा खदानें संचालित हैं. इनमें राजस्व भूमि की खदानें कमला बाई तालाब क्षेत्र में हैं, शेष जगहों पर संचालित खदानें निजी पट्टे की भूमि में हैं. इस साल कमला बाई तालाब की खदानों से सिर्फ दो लोगों को ही हीरे मिले हैं, फिर भी सैकडों लोग हीरा मिलने की उम्मीद में यहां पर खदान चला रहे हैं.
 

कमला बाई तालाब के पास हीरों की तलाश करने वालों की झुग्गियां
कमला बाई तालाब के पास हीरों की तलाश करने वालों की झुग्गियां
हीरा कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक पन्ना सरकिल में हीरा उत्पादन की दृष्टि से दहलान चौकी अग्रणी है. यहां अधिकांश खदाने निजी पट्टे की भूमि पर चल रही हैं तथा सबसे अधिक हीरे भी यहां मिल रहे हैं. इस वर्ष अब तक इस क्षेत्र में सौ नग से भी अधिक हीरे जमा हुए हैं. मालुम हो कि अच्छे किस्म के हीरों के लिए जिले का इटवां सरकिल प्रसिद्ध रहा है. इस सरकिल में भी ज्यादातर खदानें निजी भूमि पर ही चलती हैं, लेकिन हीरे बहुत ही कम संख्या में जमा होते हैं. सूत्रों के मुताबिक इस क्षेत्र में निकलने वाले अधिकांश हीरे चोरी, छिपे बेच दिए जाते हैं, जिससे शासन को प्रति वर्ष लाखों रू. का नुकसान होता है. उथली खदानों से निकलने वाले ज्यादातर हीरे जमा न होने के कारण अधिकृत तौर पर हीरों का उत्पादन घट रहा है. यदि हीरों की अवैध खरीद फरोक्त व चोरी - छिपे बिक्री रूक जाये तो पन्ना में उथली खदानों से हीरों का उत्पादन कई गुना बढ़ सकता है. हीरा पारखी आभाष सिंह ने बताया कि इस वर्ष जनवरी से सितम्बर तक उथली खदानों से प्राप्त 475 नग हीरे जमा हुए हैं, जिनका वजन 329.30 कैरेट है. अक्टूबर माह में 24.92 कैरेट वजन के 17 हीरे जमा हुए हैं.