सीहोर में हर सप्ताह लुटी आबरु

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मुख्यमंत्री के गृह जिले में11 माह में 64 बलात्कार के मामले सामने आए
2007 में 56 , 2008 में 58, 2009 में 63, 2010 में 70 और 2011 में 82 बलात्कार
महेन्द्र ठाकुर, सीहोर.


सीहोर जिले में महिलाओं की इज्जत लगातार तार-तार होने की घटनाएं सामने आ रही हैं। स्थिति इतनी चिंताजनक हो गई है कि हर सप्ताह एक महिला बलात्कार का शिकार हो रही है।
सरकार महिला सशक्तिकरण के चाहे कितने ही दावे करे, लेकिन महिलाओं पर अत्याचार होने में कहीं से भी कमी महसूस नहीं हो रही है। पुलिस रिकार्ड में दर्ज मामलों पर ही नजर डाली जाए तो वर्ष 2007 में 56 मामले दर्ज किए गए, इस प्रकार 2007 में सीहोर जिले में हर सप्ताह एक से अधिक बलात्कार की घटनाएं घटित हुई। अगले साल 2008 में बलात्कार की 58 घटनाएं सामने आई। इस वर्ष भी महिला अत्याचार का क्रम सप्ताह में एक से अधिक ही रहा। 2009 में 63 घटनाएं सामने आई वहीं 2010 में 70 और 2011 में 82 घटनाएं हुई हैं, आकंडे बता रहे हैं कि बलात्कार की घटनाएं साल दर साल बढती जा रही हैं इस साल भी 11 माह के दौरान बलात्कार की 64 घटनाएं घटित हो चुकी है। जिसके अनुसार हर माह बलात्कार की 6 घटनाएं याने कि सातवें दिन में एक बलात्कार इस साल हुआ।
महिलाओं के साथ हो रही ज्यादती की घटनाओं में कमी न आना अपने आप में चिंताजनक पहलू हैं। कई बार बलात्कार की घटनाएं पुलिस थानों तक पहुंचती ही नहीं है क्योंकि घटना हो जाने के बाद फरियादी लोक लाज के डर से पुलिस तक नहीं पहुंचती है, ऐसे में अनेक मामले यूं ही दफन हो जाते हैं और जो मामले पुलिस मामले तक पहुंचते हैं भी उसमें प्रभावी कार्रवाई का संदेश जमीनी स्तर पर शायद नहीं जा पाता। यही कारण है कि बीते पांच सालों से बलात्कार की घटनाओं का ग्राफ कम नहीं हो पा रहा है। औसतन हर सप्ताह बलात्कार की घटना घटित हो रही है और पुलिस हर मामले में कागज रंगने के अलावा कुछ भी कर पा रही है। ऐसी स्थिति के बाद भी जिले में बलात्कार की घटनाओं को रोकने के लिए न तो जिला प्रशासन और न ही पुलिस महकमे ने अब तक कोई पहल की है। 
कुछ साल पहले ही बुधनी के खंडाबढ़ से सनसनीखेज मामला सामने आया था, जिसमें हेडकांस्टेबल ने ही महिला के साथ बलात्कार किया था। जिस जिले में पुलिस कर्मी ही बलात्कारी निकले, वहां किसी से क्या उम्मीद हो सकती है। इसी प्रकार बिलकिसगंज थाना प्रभारी पर हाल ही में गैंगरेप का आरोप लगा मामले को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि एक और मध्यप्रदेश सरकार बेटी बचाओ अभियान की कामयाबी की बात कह रही है दूसरी और राजधानी के नजदीकी और मुख्यमंत्री के गृह जिले में बेटिओं की आबरु सुरक्षित नहीं है, पुलिस रिकार्ड के आंकडे ही चैकाने वाले हैं तो जमीनी हकीकत क्या होगी आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है। 
 वर्ष           संख्या
2007        56
2008        58
2009        63
2010        70
2011        82
2012        64 ( नवम्बर माह तक)

इनका कहना है
एएसपी अमित सक्सेना ने बताया की जो भी मामले पुलिस तक पहुंचते हैं उसमें प्रभावी कार्रवाई की जा रही है। किसी भी आरोपी को बक्शा नहीं जा रहा है।