शहीदों के पार्क में करोडो का घोटाला

Staff Author
करोडो खर्च के बाद भी तख्ती के सहारे लटक रहा २६/११ शहीद का नाम


विजय यादव , मुंबई 


शहीदों के पार्क में करोडो का घोटाला
महाराष्ट्र में राजनेताओं के दामन पर लगे आदर्श घोटाले के दाग अभी धुले भी नहीं थे कि, २६/११ के शहीदों के नाम पर बने पार्कों की कीचड़ भरी मिट्टी से इन नेताओं के घोटाला स्नान किये जाने की खबरे आने लगी है. या यूँ कहे कि, घोटाले की गन्दगी को भ्रष्टाचार के कीचड़ से धोया जा रहा है. यह वह जाबांज शहीद है, जिनकी शहादत के सहारे राज्य में कईयों की सियासी दुकाने चल रही है . 26/११ के आतंकी हमले में कुल १६६ लोग मारे गए थे, जिनमे हमारे १८ जाबांज नौजवान शामिल थे. इनमे प्रमुख रहे एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अशोक कामटे, एनकांउटर स्पेशलिस्ट विजय सालस्कर और कांस्टेबल तुकाराम ओंबले . इन्ही लोगो के नाम पर मुंबई मनपा ने अपनी खाली पड़ी जमीनों पर जगह-जगह पार्क बनाने का शुरू किया. मनपा के इस कार्य को खूब सराहा भी गया. देखा जाय तो, इस तरह मुंबई मनपा की सत्ता में बैठी भाजपा-शिवसेना ने शहीदों के नाम पर स्मारक और पार्क बनाने के बहाने जमकर वोट उपजाने का काम किया. अफ़सोस आज उनके नाम पर जनता के करोडो रुपये सिर्फ सरकारी कागजों पर दिखा कर डकार लिए जा रहे है. तात्कालीन मनपा स्थायी समिती के अध्यक्ष व शिवसेना विधायक रविन्द्र वायकर के कार्यकाल में उनके निर्वाचन क्षेत्र जोगेश्वरी ( पूर्व) में तीन बड़े गार्डेन के निर्माण की नीव रखी गई. इनमे शहीद हेमंत करकरे,अशोक कामटे व विजय सालस्कर का नाम शामिल था. 


शहीदों के पार्क में करोडो का घोटाला पूनम नगर में हेमंत करकरे के नाम पर करीब २ एकड़ जमीन पर पार्क बनाने का निर्णय लिया गया. मनपा की ओर से २०१० व २०१२ में इस पार्क को बनाने के लिए दो बार टेंडर निकला गया. पहलीबार में सिविल , विद्युत संचालन और रखरखाव के नाम पर केबीए इन्फ्रास्ट्रक्चर को कुल ७ करोड़ ६४ लाख ५० हजार ७०१ रुपये का ठेका दिया गया. इसी तरह दूसरी बार में अलग-अलग कार्यो के लिए १० करोड़ २७ लाख ८४ हजार ६३२ रुपये का कांट्रेक्ट मीरा कंस्ट्रक्सन कंपनी को दिया गया. करीब १८ करोड़ रुपये की लागत से तैयार होकर यह पार्क जब आम नागरिकों के लिए खोला गया , तब पता चला कि, इस पार्क में भ्रष्टाचार की खिचड़ी पकी है. पार्क में पड़े कचरे के ढेर, जगह-जगह जमा मिट्टी का टीला, और बिखरी गन्दगी को देखकर पहली नजर में ही भ्रष्टाचार की बू आने लगी . इसी शक के आधार पर जब मुंबई मनपा से सुचना के अधिकार के तहत इसकी लागत जानकारी मांगी गयी , तब पता चला कि , राजनीति की दुकान में अपने जमीर तक का सौदा करने वाले नेता कभी इतना गिर जायेंगे कि, उसकी शहादत के नाम पर बने पार्क की दलाली करने से भी नहीं हिचकेंगे. २६/११ के आतंकी हमले में कसाब और उसके साथियों के साथ लड़ते हुए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले इन वीर सपूतों को याद कर आज भी आम मुंबईकरों की आंखे नम हो जाती है.


शहीदों के पार्क में करोडो का घोटाला
पार्क के एक कोने में पड़े घटिया दर्जे के इन पत्थरों को देखकर लखनऊ में मायावती द्वारा बनवाये गए अम्बेडकर पार्क के वह लाल जयपुरी पत्थर भी शर्मा जाय , जिसे खरीदने के लिए मायावती ने कई सौ करोड़ रुपये खर्च कर दी थीं. मुंबई के फुटपाथ पर लगाये जाने वाले इस पत्थर ने मायावती के लाल पत्थरों के मूल्य को भी मात दे दी है . संभव है कि, बहन जी के लिए यह खबर जहाँ राहत भरी होगी , वहीँ उनके विरोधियों को चुप कराने का भी काम करे,जो अब तक इस दलित मुखिया की महँगी खरीददारी पर सवाल उठाते रहे है. मायावती करोडो खर्च कर डा.भीमराव अम्बेडकर के नाम का कम से कम शिलालेख तो लगा दिया था .यहाँ तो करोडो रुपयों के खर्च हो जाने के बाद भी एक शहीद का नाम तक्थी के सहारे दीवार से लटक रहा है. भ्रष्टाचार के इस खेल में तब हद हो गई जब , १८ करोड़ खर्च करने के बाद भी पार्क में हेमंत करकरे के स्मारक पर उनका नाम एक प्लास्टिक के सीट पर लीख कर चिपका दिया गया , जो अपनी बेबसी पर रो भी नहीं सकता. खबर लिखे जाने तक इस तख्ती का भी उखाड़ना शुरू हो गया था. आज जब आप इस खबर को पढ़ रहे हो तो संभव है कि, तब तक वह तख्ती भी नहीं बची हो. 


 पृथ्वी मस्के ( आरटीआई एक्टिविस्ट )
पार्क की जानकारी निकालने वाले पृथ्वी मस्के ( आरटीआई एक्टिविस्ट ) का साफ-साफ कहना है कि, मुंबई मनपा में बैठी भाजपा - शिवसेना ने सीधे तौर पर शहीदों के नाम पर भ्रष्टाचार किया है. अब इन्हें इन शहीदों का नाम लेने तक का हक़ नहीं रहा. शिवसेना - भाजपा दोनों की अंगुलियाँ इस भ्रष्टाचार से गन्दी हो चुकी है. हालाँकि इस मामले में शिवसेना-भाजपा सहित मनपा की ओर से भी कोई अधिकारी कुछ कहने के लिए तैयार नहीं है.

२६/११ हमले के शहीद के नाम पर मुंबई में कोई यह इकलौता पार्क नहीं है, पुरे शहर भर में ऐसे दर्जनों पार्क और स्मारक मिल जायेंगे , जिन्हें मनपा की तिजोरी से बनाया गया है. यही बगल में कुछ ही मिनटों की दुरी पर शहीद विजय सालसकर और अशोक कामटे के नाम पर भी पार्क का निर्माण कराया गया है. अगर इनकी भी फाइले खोली जायं तो कहानी कुछ अलग नहीं होगी.