महिलाओं के रक्षा के लिए कानून के साथ समाज भी ले जिम्मेदारी

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ब्यूरो, बेगमगंज.
सेमीनार को संबोधित करते एडीजे कमल जोशी
सेमीनार को संबोधित करते एडीजे कमल जोशी
आज देश में आए दिन घट रही महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं ने सरकारों को भी चिंता में डाल दिया है। आज सरकारें चिंतित है कि महिलाओं के सम्मान और आबरू की रक्षा कैसे की जाए। हाल की घटनाओं ने देश और समाज को उद्वेलित किया है कि इंसानी भेड़िओं से इनकी रक्षा कैसे हो इसीलिए कानून में अलग से और भी प्रावधान किए जा रहे है।
यह विचार घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण विषय पर आयोजित सेमीनार में जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश कमल जोशी ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि, महिलाओं से किसी भी प्रकार का गलत आचरण करना हिंसा में शामिल है। हमें ऐसा वातावरण बनाना है जिसमें रहकर महिलाएं अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सके और उन्हें लगे कि वे राम राज्य में रह रही है। जिसके लिए समाज को भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करना होगा।
प्रथम श्रेणी व्यवहार न्यायाधीश धनराज दुबेला ने घरेलू हिंसा अधिनियम महिलाओं के अधिकार एवं बच्चों के भी अधिकार एवं उनके भरण पोषण की कानूनी व्यवस्था पर प्रकाश डाला। अतिरिक्त लोक अभियोजक बद्रीविशाल गुप्ता ने घरेलू हिंसा महिला संरक्षण अधिनियम के तहत उन पर होने पर अत्याचार की रोकथाम शारिरिक मानसिक आर्थिक सामाजिक हिंसा रोकने के लिए कानूनी संरक्षण देने की बात कही। संचालन एवं आभार प्रदर्शन न्यायाधीश चन्द्रसेन मुबेल ने किया।