चुंगी क्षतिपूर्ति-कमाई 11 - कटौती 9 करोड़

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नगर निगम को मिलती है हर महीने 11 करोड़ रुपए की चुंगी क्षतिपूर्ति
हुडको से लिए लोन की मासिक किश्त ही कटेगी 9 करोड़ रुपए की
जेएनएनआरयूएम एक्सटेंशन पूरा करने लिया ऋण बना गले की फांस


बयूरो, भोपाल
 

चुंगी क्षतिपूर्ति-कमाई 11 - कटौती 9 करोड़
नगर निगम को अधूरी योजनाओं को पूरा करने के लिए हुडको से कर्ज लेना भारी पड़ रहा है। कर्ज का सिर्फ ब्याज चुकाने में ही हर महीने करीब 9 करोड़ चुकाने पड़ेंगे। इस ब्याज की भरपाई के लिए चुंगी क्षतिपूर्ति के तौर पर हर महीने मिलने वाली 11 करोड़ रुपए में से ब्याज की पूर्ति की जा रही है। इसके नतीजे में कर्मचारियों के वेतन भत्तों से लेकर वार्ड स्तर पर होने वाले छोटे-मोटे विकास कार्यों पर वित्तीय संकट का ग्रहण लग रहा है।
भोपाल को आदर्श और सुव्यवस्थित राजधानी के तौर पर विकसित करने के लिए मिलने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि से विकास योजनाओं को पूरा करने के बजाय ब्याज की भेंट चढ़ाया जा रहा है। नगर निगम प्रशासन ने वर्ष 2010-11 में राष्ट्रीय संस्था हुडको से 189 करोड़ रुपया ऋण लिया था, जिसकी ब्याज दर करीब सवा नौ प्रतिशत है। इस भारी भरकम कर्ज के ब्याज को पटाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने से हुडको ने जब ब्याज चुकाने का तकादा किया तो निगम ने इस हाथ ले उस हाथ दे पर अमल किया। निगम ने हर महीने शासन से चुंगी क्षति पूर्ति के मिलने वाले 11 करोड़ में से मूल के साथ ही ब्याज चुकाने का करार हुडको से किया। यह करार भी बेहद गोपनीयता से किया गया, ताकि कर्मचारी या जनप्रतिनिधि इसका विरोध न कर सकें। 


शासन आदेशों को ठेंगा
हुडको से कर्ज लेने और ब्याज के बदले चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि को दांव पर लगाने में निगम प्रशासन ने राज्य शासन के आदेशों को भी चुपचाप दरकिनार कर दिया। शासन के स्पष्ट आदेश हैं कि चुंगीकर की भरपाई के रूप में दी जाने वाली राशि में से सबसे पहले वेतन बांटा जाए। इसके बाद बचने वाली राशि से ही अन्य विकास कार्य करवाए जा सकेंगे। निगम कर्मचारियों के वेतन भत्तों पर हर महीने करीब 9 करोड़ रुपए खर्च होते हैं, जबकि शासन से मिलने वाले 11 करोड़ की चुंगी क्षतिपूर्ति में से करीब 9 करोड़ रुपए ऋण के ब्याज में देने का करार हुआ है। इससे निगम को हर महीने अब 6 करोड़ रुपए यहां-वहां से अतिरिक्त जुटाने पडेंगे।


इसलिए लिया ऋण
जवाहरलाल नेहरु राष्ट्रीय शहरी विकास मिशन के अंतर्गत बीआरटीएस निर्माण, नर्मदा जल वितरण, फ्लाय ओवर निर्माण तथा गरीबों के लिए बहु मंजिले आवासों के निर्माण की योजनाओं को पूरा करने के लिए ऋण लिया गया। बीआरटीएस के लिए 72 और गरीबों के मकानों के लिए 117 करोड़ रुपए लिए गए हैं।
हर साल बढेÞगा कर्ज
हुडको से कर्ज लेने की शर्त के अनुसार नगर निगम को किश्तों में राशि मिलेगी, जिसका उपयोगिता प्रमाण पत्र देने के बाद अगली किश्त मिलेगी। निगम ने पहले ही साल 40 करोड़ रुपए कर्ज लिया, जिसके बदले उसको मूल सहित ब्याज हर तीन महीने में यानि क्वार्टरली चुकाना है। इसके तहत पहली किश्त करीब साढेÞ आठे करोड़ रुपए चुकानी पड़ी है। कर्ज की बाकी रकम दो किश्तों में मिलने की उम्मीद है, जिसके नतीजे में ब्याज भी बढेÞगा। ऐसे में ब्याज सहित मूल राशि चुकाने के लिए निगम को सालभर में 16 करोड़ रुपए तक चुकाने पडेंगे।
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कथन
हुडको से बीआरटीएस व गरीबों के आवासों के लिए 189 करोड़ ऋण लिया गया है। इसकी ब्याज दर साढ़े आठ प्रतिशत सालाना है। ब्याज को क्वार्टरली चुकाना है, जिससे भार नहीं पडेÞगा।
-डीएस हाडा, उप संचालक वित्त
 

आदर्श राजधानी बनाने और जनता की मांग पर प्रोजेक्ट एक्सटेंशन किए जाने से लागत बढ़ गई। केंद्र से भरपाई नहीं होने पर हुड़को से लोन लिया गया, जिससे प्रोजेक्ट तेजी से पूरे हो सकेंगे।
-कृष्णा गौर, महापौर
 

चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि से कर्मचारियों के वेतन भत्ते बांटने के बाद वार्डों में विकास कार्य कराए जाना चाहिए। कर्ज लेने से पहले विपक्ष को भरोसे में नहीं लिया गया। इसकी जांच की मांग करेंगे।
-मोहम्मद सगीर, नेता, कांग्रेस पार्षद दल