सफाई नहीं देनी पडेगी आजम खां समेत हजारों सपाईयों को

Staff Author
उत्तरप्रदेश सरकार के कद्दावर मंत्री आजम खां पर लगे चार आपराधिक मामले वापस लेगी अखिलेश सरकार

महाश्वेता तिवारी, लखनऊ.


अखिलेश सरकार के कद्दावर मंत्री आजम खां
अखिलेश सरकार के कद्दावर मंत्री आजम खां पर लगे चार आपराधिक मुकदमें वापस लिये जा सकते हैं. दरअसल समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पहले वायदा किया था कि अगर वो सत्ता में आती है तो मुकदमों को वापस लिया जाएगा. सत्ता में वापसी के साथ ही समाजवादी पार्टी अब अपना वायदा निभाने में जुट गई है. बसपा शासनकाल में पार्टी के जिन कार्यकर्ताओं और नेताओं पर मुकदमें लगाये गए थे, अब उनको वापस लेने की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है. हालांकि, अखिलेश सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए हाईकोर्ट में दाखिल की गई एक याचिका पर सरकार से जवाब तलब किया गया है.

वैसे आजम खां पहले नेता नहीं, जिनको राहत मिलने के आसार दिख रहे हैं. इनसे पहले राज्य मंत्री मनोज पारस, राज्य मंत्री इकबाल महमूद, असमोली की विधायक पिंकी यादव के पिता एवं सपा के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री बृजेंद्र पाल सिंह यादव, कुंदरकी से विधायक रिजवान के बेटे उवैस और भाजपा सांसद वरुण गांधी के नाम प्रमुख हैं. गौरतलब है कि इनमें से अधिकतर के खिलाफ जिला प्रशासन ने आपत्ति दर्ज कराई है तो वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट में सरकार के इस फैसले को चुनौती दिए जाने पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश अमिताभ लाला तथा न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खण्डपीठ ने सूबाई सरकार से मुकदमे वापसी की गाइड लाइन के बाबत जवाब मांगा है. समाजवादी पार्टी की सफाई है कि सरकार राजनैतिक मुकदमों को वापस ले रही है, ना कि आपराधिक मुकदमों को.

जिला कार्यालयों में देना होंगे आवेदन
अखिलेश सरकार ने तय किया है कि, मई 2007 में बसपा सरकार गठन से लेकर 31 दिसम्बर,2011 तक सपा के जिन नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के खिलाफ धरना-प्रदर्शन, आंदोलन या किन्ही अन्य वजहों से फर्जी मुकदमे दर्ज कराए गए हैं, उन्हें वापस लेने की कार्यवाही की जाएगी. पीड़ित सपा नेता-कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री के नाम मुकदमा वापसी के लिए पार्टी के जिला कार्यालयों में प्रार्थना पत्र देना होगा. इसके बाद ही उस पर से मुकदमा वापसी के बारे में विचार किया जायेगा।

सारे कागजात देने होंगे
प्रार्थना पत्र के साथ पीड़ित को घटना से सम्बन्धित एफआइआर की प्रति देनी होगी. इसके अलावा उसे ये भी बताना होगा कि किस प्रकार झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई गई और उसका उत्पीड़न किया गया. मुकदमे के कोर्ट में होने पर उसके पूरे विवरण के साथ कोर्ट से मिली नोटिस की फोटो कापी भी देनी होगी. इसके बाद आवेदनों को शासन के पास भेजा जाएगा. आवेदन का परीक्षण करने के बाद ही आगे की कार्यवाही तय हो पाएगी.

अदालत की आड़ में बचे
माया सरकार में दर्ज करवाए गए पार्टी कार्यकर्ताओ और नेताओं के खिलाफ राजनैतिक मुकदमों को अखिलेश सरकार खत्म करने की प्रक्रिया में हैं. इस पर सपा से विरोध का दम भरने वाली कांग्रेस स्पष्ट रवैया अख्तियार नहीं कर पा रही है. विपक्ष का कहना है कि राजनैतिक मुकदमों को खत्म करने के वो खिलाफ नही हैं, लेकिन अगर इस आड़ में आपराधिक मुकदमों को खत्म किया जायेगा तो वो इसके खिलाफ हैं. मामला अदालत में पहुंच भी चुका है. ऐसे में जहां सरकार मुकदमों को जल्द से जल्द वापस लेने की कोशिश करेगी, वहीं कांग्रेस समेत विपक्ष इस मामले में कोर्ट में मामला लंबित होने की आड़ में कुछ भी कहने से बचती रहेगी.

कांग्रेस और सपा ने बताए कारण

जगदम्बिका पाल

अगर राजनैतिक मुकदमों की वापसी पर राज्य सरकार विचार कर रही है तो इसमें गलत नही है. लेकिन राज्य सरकार अगर आपराधिक मुकदमों को वापस लेती है, तो वो गलत है. हालांकि, आपराधिक मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं तो इस बारे में अंतिम फैसला अदालत ही करेगी.
जगदम्बिका पाल, सांसद, कांग्रेस
राम आसरे कुशवाहा


मुकदमें वापसी के लिये सरकार नें बाकायदा नियम और कायदा भी तय किया है. कोई भी फैसला कानून से हटकर नहीं लिया जा रहा है. यह सभी को स्पष्ट होना चाहिए कि, सरकार सिर्फ राजनीतिक कारणों से बनाए गए झूठे आपराधिक मामलों को ही वापस ले रही है.
  रामाश्रय कुशवाहा, राष्ट्रीय महासचिव, सपा