भोपाल के प्रेस काम्प्लेक्स स्थित एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड के लिए मिली जमीन पर मॉल बनवाकर बेचे
मोतीलाल वोरा, विश्वबंधु गुप्ता और तनवंत सिंह कीर ने नियमों के खिलाफ बिकवाई नवजीवन पे्रस की जमीन
रविन्द्र सिंह, भोपाल.
नवजीवन के साथ ही नेशनल हेराल्ड और कौमी आवाज समाचार पत्र छापने के लिए प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु द्वारा स्थापित एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड के लिए दी गई जमीन को नियमों को बलाए ताक रखते हुए कांग्रेस के ही दिग्गज नेताओं ने शापिंग माल बनवा दिया। इसका खुलासा होते ही भोपाल विकास प्राधिकरण ने सालभर पहले ही इस जमीन का आवंटन निरस्त कर दिया था, लेकिन राजनैतिक दबाव के चलते लीज निरस्ती के लिए सिविल कोर्ट की सीढ़िसां नहीं चढ़ सका है। दूसरी ओर, एसोसिएट जर्नल्स को लेकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के बाद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा कांग्रेस पार्टी की मान्यता खत्म करने का मुद्दा उठने के बाद मचे हड़कंप से भोपाल के प्रेस कांप्लेक्स में नवजीवन प्रेस की जमीन पर निर्मित लोटस और विशाल मेगामार्ट खतरे की जद में आ गए हैं।
गौरतलब होगा कि, प्रेस कांप्लेक्स में 1981 में एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड को 1.14 एकड़ जमीन की लीज जारी की गई थी। यहां प्रेस स्थापित करके नवजीवन समाचार पत्र का प्रकाशन भी शुरु किया गया, लेकिन 1992 में इसका प्रकाशन बंद हो गया। इसके बाद 40 से ज्यादा कर्मचारी अपने वेतन भत्तों के लिए श्रम न्यायालय चले गए, जहां अभी सुनवाई चल रही है। बहरहाल, 1992 के बाद करीब 6 साल तक जमीन खाली पड़ी रही, इस दौरान प्रेस कर्मचारियों ने राजीव गांधी को जमीन की हकीकत बताने के लिए दस्तावेज भेजे थे। दुर्भाग्य से इसी बीच राजीव गांधी की हत्या हो गई, जिसके बाद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा को एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड का अध्यक्ष और विश्वबंधु गुप्ता को डायरेक्टर बनाया गया। गुप्ता ने इसी जमीन के संबंध में वोरा के करीबी माने जाने वाले दिल्ली की गंगा एंटरप्राइजेज के बिल्डर एनके मित्तल को पॉवर आॅफ अटार्नी दे दी। इसके बाद कई तथ्यों और नियमों को ठेंगा दिखाते हुए नगर निगम की भवन अनुज्ञा शाखा से बिल्डिंग परमीशन लेकर वर्ष 2000 से बिल्डिंगों का निर्माण शुरु हो गया। इस विशालकाय भवन के आगे की ओर विशाल मेगा मार्ट और पीछे के हिस्से को लोटस को बेच दिया गया। इसके अलावा 50 से ज्यादा दुकानों और आॅफिसों की रजिस्ट्री विश्वबंधु गुप्ता के हस्ताक्षर से करवाई गर्इं।
पूर्व नगरीय प्रशासन मंत्री भी शामिल
विश्वबंधु गुप्ता ने जिस पॉवर आॅफ अटार्नी के जरिए बिल्डर एनके मित्तल को को सर्वेसर्वा बनाया था, उस पर बतौर गवाह पूर्व नगरीय प्रशासन मंत्री स्व. तनवंत सिंह कीर के हस्ताक्षर थे। इसके बाद मित्तल ने कीर के बेटे गुरुचरण सिंह को पॉवर आॅफ अटार्नी दे दी। खासतौर पर उल्लेखनीय होगा कि, इसी दौरान गुरुचरण सिंह को नेशनल हेराल्ड का ब्यूरो चीफ भी बनाकर रखा गया था। इसी जमीन की तीसरी पॉवर आॅफ अटार्नी भी बनाई गई, जोकि मित्तल ने सौम्या होम्स के बिल्डर संजय सिन्हा के नाम पर बनवाई थी। इसी बिल्डिंग में एक हिस्से को स्व. कीर की पत्नी के नाम पर रजिस्ट्री करवाई गई थी, जिसको बाद में ऊंचे दामों पर बेच दिया गया।
बीडीए नहीं गया कोर्ट
भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड के लिए भूमि आवंटन मार्च,11 में ही निरस्त कर दिया था, क्योंकि लीज की शर्तों का उल्लंघन किया गया। हालांकि, बीडीए अचानक ही इसके बाद से चुप्पी साध गया है और लीज निरस्त करवाने के लिए सिविल कोर्ट नहीं गया। सूत्रों की माने तो राजनीतिक दबाव के चलते बीडीए ने लीज निरस्ती का मसौदा तैयार हो जाने के बाद भी सिविल कोर्ट में याचिका दाखिल नहीं की। इसी कारण नवजीवन प्रेस की जमीन पर बने शापिंग माल और व्यवसायिक भवन बरकरार है।
इन लीज शर्तों का उल्लंघन
- सिर्फ प्रकाशन हेतु भवन निर्माण किया जाएगा
- जमीन का कॉमर्शियल इस्तेमाल नहीं किया जाएगा
- किराए या बेचने के लिए पूर्व सक्षम अनुमति ली जाएगी
अशोक नन्दा का दान पत्र
इस बेशकीमती जमीन की बंदरबांट में नेताओं से लेकर नगर निगम के अफसर तक शामिल रहे। नगर निगम के सिटी इंजीनियर अनिल नन्दा के सगे बडेÞ भाई अशोक नन्दा के नाम पर इस बहुमंजिले भवन के एक हिस्से का दानपत्र बनाकर मुफ्त में थमा दिया गया। सूत्रों के अनुसार, नगर निगम से लीज शर्तों के खिलाफ जाकर बिल्डिंग परमीशन और अन्य अनुमतियां लेने के बदले में नन्दा को उपकृत किया गया। इस लेन-देन में तमाम नियमों को दरकिनार किया गया और नन्दा ने भी बाद में दान में मिले बिल्डिंग के हिस्से को ऊंची कीमत पर बेच दिया। दरअसल, यह रिश्वत देने का एक घुमावदार तरीका था, जिसके चलते नगर निगम और नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के अधिकरियों की मेहरबानी के बदले उपक़ृत किया गया था।
प्रेस कर्मचारियों को धोखा दिया
नवजीवन प्रेस कर्मचारी संघ के सचिव संजय चतुर्वेदी साफ कहते हैं कि, नवजीवन प्रेस में काम करने वाले करीब 80 कर्मचारियों को अंधेरे में रखा गया। प्रेस की जमीन को बिल्डर को नियम विरुद्ध दे दी गई और फिर बिल्डिंग बनाकर बेच दिया गया, जिसमें कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा, विश्वबंधु गुप्ता, पूर्व मंत्री स्व. तनवंत सिंह कीर और उनका परिवार, नगरनिगम के सिटी इंजीनियर अनिल नन्दा और उनके बडेÞ भाई अशोक नन्दा, बीडीए के अधिकारी आदि शामिल थे। चतुर्वेदी के अनुसार, श्रम न्यायालय में चल रहे मुकद्में सारे तथ्य पेश किए जा चुके हैं, लेकिन कानूनी अड़ंगेबाजी हो रही है। इस बारे में कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पूरे दस्तावेज भेजकर भ्रष्ट नेताओं को पार्टी से निकालने और जमीन बेच खाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने की मांग करते आ रहे हैं।
कांग्रेसियों ने ही बेच दिया नेहरु के सपने को
November 11, 2012