सिलिकोसिस से पन्ना जिले में एक और आदिवासी की मौत

Staff Author
पत्थर खदानों में कार्यरत हजारों श्रमिक सिलिकोसिस बीमारी की चपेट में
जिले में अब तक 39 पीड़ित सामने आने के बाद भी सरकार को सुध नहीं

अरुण सिंह, पन्ना.


बालकिशन आदिवासी (मौत से कुछ दिन पहले का फोटो)
बालकिशन आदिवासी (मौत से कुछ दिन पहले का फोटो)
मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की पत्थर खदानों में काम करने वाले श्रमिक जानलेवा बीमारी सिलिकोसिस से पीड़ित हो रहे हैं, जिसके नतीजे में श्रमिकों की अकाल मौत होने का यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. इस खतरनाक बीमारी से अब तक जिले में चार श्रमिकों की मौत हो चुकी है. हाल ही में ग्राम बड़ौर निवासी बालकिशन आदिवासी की इसी बीमारी के चलते मौत हुई है.

जिले में सिलिकोसिस बीमारी के प्रकोप तथा पीड़ित मजदूरों की जानकारी को प्रमाणित हुए एक वर्ष से भी अधिक हो चुका है. इसके साथ ही प्रदेश की विधानसभा में सरकार ने भी यह बात स्वीकार की है कि पन्ना जिले की पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूर सिलिकोसिस बीमारी से पीडित हैं. इसके बावजूद पत्थर खदान श्रमिकों के जीवन से जुड़े इस घातक मामले पर प्रदेश की सरकार से लेकर जिला प्रशासन तक बिलकुल गंभीर नहीं है. 

मालुम हो कि 14 अगस्त,2012 हो इन्विरॉनिक्स ट्रस्ट, पन्ना द्वारा कराई गई जांचों में 39 मजदूरों को सिलिकोसिस से पीडित होने के प्रमाण मिले थे. इस जांच रिपोर्ट के सामने आने के बाद ही सरकार ने भी माना था कि पन्ना में सिलीकोसिस से पीड़ित मजदूर हैं. इन 39 मजदूरों में से जिला चिकित्सालय पन्ना द्वारा अभी तक सिर्फ 17 मजदूरों का ही सतना जिला चिकित्सालय से सिटी स्केन कराया गया है. इस रिपोर्ट से भी स्पष्ट हो चुका है कि इन मजदूरों को सिलिकोसिस है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई इन मजदूरों के लिये योजनाओं का लाभ भी इन मजदूरों को नहीं मिल पाया है. 

ग्राम पंचायत बड़ौर निवासी 51 वर्षीय बाल किशन आदिवासी पिता दुर्गा आदिवासी की मौत 18-19 नवबंर,2012 की दरम्यानी रात को अपने निवास पर ही हो चुकी है, लेकिन जिला प्रशासन ने उसके परिवार की सुध नहीं ली है. इसके पहले भी 4 मजदूरों की सिलिकोसिस से मौतें हो चुकी हैं. इनमें सबसे पहले बीड़ी कालोनी पन्ना निवासी शहाबुद्दीन उसके बाद कामता प्रसाद आदिवासी और मस्तराम आदिवासी की मौत सिलिकोसिस बीमारी से हो चुकी है.