जिले में अब तक 39 पीड़ित सामने आने के बाद भी सरकार को सुध नहीं
अरुण सिंह, पन्ना.
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| बालकिशन आदिवासी (मौत से कुछ दिन पहले का फोटो) |
जिले में सिलिकोसिस बीमारी के प्रकोप तथा पीड़ित मजदूरों की जानकारी को प्रमाणित हुए एक वर्ष से भी अधिक हो चुका है. इसके साथ ही प्रदेश की विधानसभा में सरकार ने भी यह बात स्वीकार की है कि पन्ना जिले की पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूर सिलिकोसिस बीमारी से पीडित हैं. इसके बावजूद पत्थर खदान श्रमिकों के जीवन से जुड़े इस घातक मामले पर प्रदेश की सरकार से लेकर जिला प्रशासन तक बिलकुल गंभीर नहीं है.
मालुम हो कि 14 अगस्त,2012 हो इन्विरॉनिक्स ट्रस्ट, पन्ना द्वारा कराई गई जांचों में 39 मजदूरों को सिलिकोसिस से पीडित होने के प्रमाण मिले थे. इस जांच रिपोर्ट के सामने आने के बाद ही सरकार ने भी माना था कि पन्ना में सिलीकोसिस से पीड़ित मजदूर हैं. इन 39 मजदूरों में से जिला चिकित्सालय पन्ना द्वारा अभी तक सिर्फ 17 मजदूरों का ही सतना जिला चिकित्सालय से सिटी स्केन कराया गया है. इस रिपोर्ट से भी स्पष्ट हो चुका है कि इन मजदूरों को सिलिकोसिस है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई इन मजदूरों के लिये योजनाओं का लाभ भी इन मजदूरों को नहीं मिल पाया है.
ग्राम पंचायत बड़ौर निवासी 51 वर्षीय बाल किशन आदिवासी पिता दुर्गा आदिवासी की मौत 18-19 नवबंर,2012 की दरम्यानी रात को अपने निवास पर ही हो चुकी है, लेकिन जिला प्रशासन ने उसके परिवार की सुध नहीं ली है. इसके पहले भी 4 मजदूरों की सिलिकोसिस से मौतें हो चुकी हैं. इनमें सबसे पहले बीड़ी कालोनी पन्ना निवासी शहाबुद्दीन उसके बाद कामता प्रसाद आदिवासी और मस्तराम आदिवासी की मौत सिलिकोसिस बीमारी से हो चुकी है.
