सामूहिक दुआ में शामिल होने के लिए जमातों के आने का सिलसिला तेज
सीमा खान, भोपाल
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यह नजारा था 65 वें आलमी तब्लीगी इज्तिमा के दूसरे दिन रविवार को इज्तिमागाह पर हुए सामूहिक निकाह का। इस मौके पर 450 से ज्यादा जोड़ों का निकाह पढ़ाया गया। मौलाना जुबेर हसन साहब ने इनके निकाह करवाए। उसके बाद निकाह का खुतबा पढ़ा गया। बाद में शादीशुदा जोड़ों की खुशहाल जिंदगी के लिए दुआ की गई। इस मौके पर हजरत मौलाना सादअ साहब ने कहा कि शादी ब्याह में फिजूलखर्ची के साथ ही नुमाइश से बचें। निकाह की व्यवस्था में लगे निकाहख्वाह हुसैन अहमद हुसैनी और हाफिज जुनैद ने बताया कि इन शादियों का मकसद शादी समारोह पर होने वाली फिजूलखर्ची को रोकना है। कुरआन और हदीसों में भी इस तरह की शादियों की ताकीद की गई है।
फजिर के बाद का बयान
इज्तिमा के दूसरे दिन रविवार सुबह फजिर की नमाज के बाद मौलाना शौकत साहब ने बयान फरमाया। उन्होंने कहा कि इंसान को एक मुख्तसर जिंदगी देकर अल्लाह ने दुनिया में भेजा है। यह चंद दिनों में खत्म हो जाएगी। इसके बाद उसे लामहदूद जिंदगी गुजारना है। दुनिया में रहकर उसे आखिरत की जिंदगी की तैयारी करना चाहिए। दुनिया के अच्छे आमाल उसे आखिरत में अच्छा सिला दिलाएंगे।
जौहर के बाद का बयान
दोपहर जौहर की नमाज के बाद गोधरा से आए मौलाना इस्माईल साहब का बयान हुआ। उन्होंने कहा कि इस्लाम और शरीयत के मुताबिक जिंदगी गुजारने से ही कामयाबी मिलेगी। सादगी से जियो, किसी को तकलीफ मत पहुंचाओ और सबकी भलाई के लिए काम करो। इससे दुनिया भी राजी होगी और अल्लाह की रेहमत भी आएगी।
मगरिब के बाद का बयान
मगरिब की नमाज के बाद दिल्ली मरकज से आए मौलाना अहमद लाट साहब ने जमातों में निकलने का मकसद और इससे होने वाले फायदे समझाए। उन्होंने कहा कि इस्लाम के आखिरी पैगम्बर हजरत मोहम्मद के इस दुनिया से जाने के बाद अब कोई नबी दुनिया में नहीं आएगा। इसलिए अल्लाह ने इस काम को आगे बढ़ाने का जिम्मा हम और आप पर डाला है। जमातों के जरिये लोग दीन सीखें और लोगों को इसकी अच्छाईयां और बारीकियां सिखाएं।
मुख्यमंत्री पहुंचे दुआएं लेने
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुबह इज्तिमागाह पहुंचकर दुआएं हासिल कीं। उन्होंने दिल्ली मरकज से आए मौलाना जुबेर हसन, मौलाना अहमद लाट से अपने सिर पर हाथ रखवाया और प्रदेश की खुशहाली की दुआएं करने की गुजारिश की। इस मौके पर बीडीए उपाध्यक्ष आगा कय्यूम खान, सिकंदर हफीज, मोहम्मद मियां, अतीक उल इस्लाम थे।
दुआ के साथ होगा समापन
इज्तिमा के तीसरे दिन सोमवार को सामूहिक दुआ होगी। इससे पहले फजिर की नमाज के बाद दिल्ली मकरज के औलेमा बयान करेंगे। देर सुबह दुआ के बाद इज्तिमा का समापन होगा। इज्तिमा में सामूहिक दुआ में शामिल होने के लिए जमातियों के आने का सिललिसा तेज हो गया है, जिसके नतीजे में र्इंटखेड़ी वाले रास्ते पर सिर्फ टोपियां पहने जनसैलाब ही नजर आ रहा है।
मोबाइल नेटवर्क हो गया जाम
इज्तिमागाह पर लाखों जमातियों की मौजूदगी के कारण सारी मोबाइल कंपनियों के नेटवर्क जाम हो गए हैं। इससे सूबे से बाहर से आने वाली जमातों के साथ ही विदेशों से आई जमातों को बेहद परेशानी हो रही है। हालांकि, यहां पर बीएसएनएल के अस्थाई टॉवर खडे किए गए हैं, लेकिन बाकी कंपनियों के टॉवर नहीं होने से नेटवर्क जाम या अनुपलब्ध हो गया है।
फ्री मेडिकल कैंप
इज्तिमागाह पर वैसे तो खिदमतगारों के कई खित्ते काम कर रहे हैं, लेकिन जमातियों के लिए शहर के कई डॉक्टरों ने फ्री मेडिकल कैंप लगाये हैं। इनमें एलोपैथिक, होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक डॉक्टर जमातियों को सलाह के साथ ही मुफ्त दवायें दे रहे हैं। खिदमत के लिए शहर की कई संस्थाओं ने होटल और दुकानें लगाई हैं। बिना मुनाफा कमाए रेट-टू-रेट जमातियों को जरूरत की चीजें बेंची जा रही हैं।
निकलेंगी सैंकड़ों जमातें
हर बयान के बाद तश्कील का काम किया जा रहा है। दुनिया भर से जमा हुए जमातियों में से अल्लाह के रास्ते पर निकलने के लिए नई जमातें बनाई जा रही हैं। उम्मीद जताई गई है कि इज्तिमा में इस बार दुआ के बाद लगभग एक हजार जमात कें देश भर में तब्लीग का काम करने के लिए निकलेंगी।
हल्कों में ठहरी हैं जमातें
देश भर से आइं जमातों को अलग-अलग हल्कों में ठहराया गया है। यहां किसी भी सूबे की जमात को तलाशने के लिए सिर्फ हल्का नंबर याद होने की जरूरत है। बयान के बाद अलग-अलग जुबानों को जानने वाले लोगों को हल्के में जमा करके उलेमाओं के बयान का तरजुमा किया जा रहा है, ताकि आसानी से समझ सकें।
झलकियां
-शहर के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों की अधिकांश दुकानें बंद हैं। लोगों के इज्तिमा में मसरूफ होने के चलते इन इलाकों में चहल-पहल भी कम हो गई है।
-भोपाल टॉकीज से इज्तिमागाह तक जमाती ही नजर आ रहे हैं। रास्तों पर दुकानें भी सजी हैं। काजी कैम्प पर हलवा-मांडा, बिरयान, सोहन हलुआ की दुकानें लगी हैं।
-सारे रास्ते वालेंटियर्स मौजूद हैं, जो यातायात व्यवस्था संभालने के साथ ही जमातियों को रास्ता भी बता रहे हैं।
-बयान और नमाज के दौरान यहां पूरी तरह खामोशी छा जाती है। इस दौरान सिर्फ उलेमाओं और ईमाम की आवाज ही गूंजती रहती है।


