दूर दूर से आते हैं सारे धर्मों के लोग अपनी मन्नत पूरी करवाने
ब्यूरो, बेगमगंज.
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| ग्राम कोकलपुर में सती विषया स्थल |
धार्मिक ग्रंथ विश्राम सागर एवं जैमिनी पुराण में वर्णित ऐतिहासिक कुन्तलपुर ग्राम ही अब कोकलपुर कहा जाता है। यहां राजा चन्द्रहास और रानी विषया देवी क े सती स्थल पर पूर्णिमा को भरने वाले मेले का अलग ही महत्व है। यह मेला मिठाई के मेले के नाम से विख्यात है। यहां दूर दराज से आने वाले लोग सिर्फ मिठाई खरीदने और सती विषया के सती स्थल पर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कराने आते है।
धार्मिक एवं ऐतेहासिक महत्व की नगरी नगर बेगमगंज से सागर की ओर ग्राम बेरखेड़ी होते हुए मात्र 9 किमी दूर नेपाल से आए राजा सूर्य नरेश की नगरी कुन्तलपुर है, जिसका बिगड़ा नाम कोकलपुर है। गांव में प्रवेश करते ही छ:इंच से लेकर चार फुट तक की काले पत्थर पर तराशी गई मूर्तियों के दर्शन होते है। गांव के हर गली चौराहे पर राजा चन्द्रहास और राजकुमारी विषया की गाथाएं कही सुनी जाती है। इस प्रेम और शौर्य गाथा का वर्णन विश्राम सागर में संक्षिप्त रूप से एवं धार्मिक ग्रथ जैमिनी पुराण में अध्याय 41 से 62 तक विस्तार पूर्वक है।
जिन्न आते हैं मिठाई खरीदने
यहां किवदंती प्रसिद्ध है कि, जितनी भी मिठाई आती है, वह शाम होते होते पूरी बिक जाती है। गांव ही नहीं, बल्कि आस पास के ग्रामवासियों का भी अटल विश्वास है कि, मेले में गांववालों के अलावा जिन्नात भी मिठाई खरीदने आते है। इसी के चलते कितनी ही मिठाई आ जाए, सब बिक जाती है। दुकानदार एक दिन पहले से ही यहां दुकाने लगते हैं और मनों मिठाई लेकर आते है। शुद्ध मावा की मिठाई के दाम भी शहरों के मुकाबले काफी कम होते हैं, पचास साठ रुपए किलो से लेकर 100 रुपए किलो तक की मिठाई यहां मिल जाती है। मिठाई शकर बेसन नारियल आदि की बनी हुई होती है, जिसे गांव वाले और दर्शनार्थी प्रसाद के रूप में खरीदकर ले जाते है। ग्राम के बुजुर्ग शंकरलाल पाराशर, जो गांव के ऐतिहासिक और पौराणिक होने का इतिहास सुनाते है, का कहना है कि, मेले में बिकने वाली मिठाई खाकर कभी कोई बीमार नहीं होता। शाम होते होते सभी व्यापारियों की पूरी मिठाई हर हाल में बिक जाती है।
सारे धर्मों के आते हैं हाजिरी लगाने
इस अद्भुत मिठाई मेला में बेगमगंज के अलावा राहतगढ़, सागर, विदिशा, ग्यारसपुर, गैरतगंज, रायसेन,भोपाल, सिलवानी, सुल्तानगंज सहित दूर दूर से लोग अपनी मन्नत पूरी करवाने आते हैं। इनमें हिन्दू और मुसलमान के साथ ही सिख और इसाई तक होते हैं। कई परिवार इस मेला में शिरकत करने आते हैं और दिन भर गांव में बिताने के बाद शाम को लौटते हैं। हर कोई और सती विषया देवी के स्थान पर अपनी मनोकामनाएं रखता है और पूरी करने की प्रार्थना करता है। जिनकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है, वे भी हाजरी देने यहां आते रहते हैं।
