ब्यूरो, बेगमगंज (रायसेन)
दहेज प्रताड़ना के कारण जलने के बाद विवाहिता की मौत के लिए पति और सास को कुसूरवार ठहराते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कमल जोशी ने दस-दस साल के कठोर कारावास से दंडित किया है। दहेज के कारण विवाहिता की मौत का यह मामला थाना गैरतगंज के ग्राम पटी बोदरा का है, जहां मृतका अनीता बाई निवासी ग्राम डोबी, तेंदू खेड़ा, जिला नरसिंहपुर निवासी की शादी हुई थी। अनीता का विवाह 2001 में नंदकिशोर के साथ हुआ था। विवाह के बाद से ही उसका पति और सास दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगे थे। प्रताड़ना के इसी दौर में 24 मार्च,2008 को मृतका अनीता बाई को जली हुई अवस्था में सरकारी अस्पताल गैरतगंज लाया गया था, जहां से उसे भोपाल के एक निजी अस्पताल रिफर कर किया गया था। अनीता की दौराने इलाज मौत होने के कारण भोपाल के थाना जहांगीराबाद में मर्ग कायमी के बाद आगे की जांच के लिए एसडीओ(पी), बेगमगंज संजय वोरकर को भेजा गया था।
पुलिस की जांच के दौरान खुलासा हुआ था कि, अनीता को ससुराल में दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता था। जांच में अपराध साबित पाए जाने पर गैरतगंज पुलिस ने मृतका की सास रामप्यारी बाई एवं पति नंदकिशोर को दहेज हत्या का दोषी मानते हुए अपर सत्र न्यायालय बेगमगंज में सत्र प्रकरण क्र. 104/08 न्याय के लिए प्रस्तुत किया था। इसमें शासन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक बद्री विशाल गुप्ता और मुल्जिमों की ओर से श्याम रावत ने पैरवी की।
मृत्युपूर्व बयानों पर नहीं किया भरोसा
इस मामले की सुनवाई के दौरान अपराधियों की ओर से वकील श्याम रावत ने मृत्युपूर्व बयानों के आधार पर मामले को असत्य ठहराने की कोशिश की। गौरतलब होगा कि, अनीता बाई के मृत्यपूर्व बयानो में चिमनी गिरने से जलने की बात थी। इसको पूरे घटनाक्रम से मेल नहीं खाने और तमाम घटनाक्रम के आधार पर अभियोजक पक्ष ने अपने तर्को के एवं बयानों के आधार पर मृतका अनीता बाई के मृत्यू पूर्व बयान दबाव में देना साबित किया। इसके साथ ही विवाह के 7 वर्ष के अंदर ही विवाहिता की अस्वाभाविक हालात में मौत होने के लिए दहेज में 50 हजार रुपए और फ्रिज की मांग का खुलासा गवाहों ने किया। इस मामले में आरोपियों के वकील श्याम रावत यह साबित करने में नाकाम रहे कि, मृत्युपूर्व बयान बिना किसी दबाव या फुसलाने पर दिए गए थे।
एफएसएल रिपोर्ट ने बदली दिशा
विद्वान अपर सत्र न्यायाधीश कमल जोशी ने घटना स्थल और एफएसएल रिपोर्ट के साथ ही साक्ष्य में आई परिस्थितियों के आधार पर अपराध प्रमाणित पाया। न्यायाधीश ने मृत्युपूर्व बयानों को सटीक और सही मानने से इंकार करते हुए विस्तार से पूरे प्रकरण के तथ्यों और घटनाक्रम के आधार पर माना कि, मृत्युपूर्व बयान भरोसे लायक नहीं है। केरोसिन मृतका के पूरे शरीर पर था, जबकि मृत्युपूर्व बयान के आधार पर बचाव पक्ष की दलील थी कि, चिमनी गिरने से आग लगी। एक चिमनी में इतना कैरोसिन होता ही नहीं है कि, पूरे शरीर पर फैल सके और उसके कारण 80 प्रतिशत से ज्यादा मृतका जल जाए। अपर सत्र न्यायाधीश कमल जोशी ने दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद दहेज के कारण आग लगाकर मारने के आरोप में दोष सिद्ध पाते हुए मृतका के पति एवं सास को धारा 304 बी ताहि के तहत दस दस वर्ष का कठोर कारावास एवं एक एक हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई। इसके साथ ही धारा 498 ताहि के तहत तीन तीन वर्ष का कारावास एवं एक एक हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।