पौराणिक गांव कुंतलपुर में सती विषया देवी के स्थल पर श्रद्धालुओं ने टेका मत्था
ब्यूरो, बेगमगंज (रायसेन)
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| मिठाई की दुकानों पर खरीददारों की भीड़ |
पुराणों में वर्णित गांव कुंतलपुर, जो अब कोकलपुर के नाम से जाना जाता है, में बुधवार को विशाल तालाब के किनारे भरने वाले दुनिया के अजूबे मिठाई के मेले में क्विंटलों मिठाई चुटकी बजाते ही बिक गई। वैसे भी यहां पर यह किवदंती प्रसिद्ध है कि, इस मेले में इंसान ही नहीं, बल्कि जिन्न भी मिठाई खरीदने आते है। भले ही आज के दौर में लोग इसे अंधविश्वास माने या कोरी गप्प मान कर हंसी में उड़ा दें, लेकिन आस पास के ग्रामीणों को पूरा यकीन है कि इन्सानी शक्ल में जिन्न ही मिठाई खरीद ले जाते है। तभी तो मेले में करीब 50 क्विंटल मिठाई तीन घंटे में बिक गई। इस मौके पर ग्रामीणों ने भी नृत्य के साथ ही दीवारी गीत गाए और सती विषया देवी की गाथा गाकर सुनाई। मेले में लोग मिरदंग, ढपला, बांसुरी एवं ढोलकी की थाप पर राजा चन्द्रहास और राजकुमारी विषया की गाथाएं गाकर लोगों को मेले की ऐतेहासिकता का बखान इस तरह कर रहे थे कि सुनने वाले कुछ देर के लिए महाभारत काल की कल्पना में खो से गए।
मिठाई खरीदने की रही होड़
मेले में दूर दराज से कई लोग अपने परिवार के साथ आए और मन्नत मांगने के साथ ही मिठाई खरीदी। मिठाई की दुकानों पर भारी भीड़ रही। मिठाई की दो दर्जन दुकानों पर करीब पचास क्विंटल मिठाई शाम से पहले ही बिक चुकी थी। शकर, मैदा, बेसन, नारियल आदि से बनी मिठाई 50 रुपए से लेकर 70 रुपए किलो तक दुकानों पर उपलब्ध थी। खरीदने वालों ने प्रसाद चढाने के बाद वहीं बैठकर मिठाई खाई और बांटी भी। मेले में प्राचीन परम्परा का निर्वाहन करते हुए कुछ लोग चिलम पीते भी दिखाई दिए। विलुप्त हो रहे लकड़ी के बने छापे, जिनसे हाथों पर या कपड़ों पर फूल उकेरे जाते है, वह भी बिक रहे थे। बच्चों के खेल खिलौने, महिलाओं की श्रंगार सामग्री की भी खूब बिक्री हुई। करीब दस हजार लोगों ने मेले में शिरकत की, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी मेले में नजर नहीं आए, न ही पुलिस का इंतजाम था।
मन्नतों और मान्यताओं का मेला
बीते कई साल से मेला देखने आ रही सावित्री बाई लोधी ने बताया कि मेले में जितनी भी मिठाई आती है, वह शाम होते होते पूरी बिक जाती है। मेले की महिमा है कि यहां से खरीदी गई मिठाई खाकर कोई बीमार नहीं होता।
वयोवृद्ध खिलानसिंह ने बताया कि मेले में मिठाई पूरी बिकने की सदियों पुरानी मान्यता है, यहां जिन्न इन्सान के भेस में मिठाई खरीदकर ले जाते है। लोग सदियों से मेले में मूर्तियों के दर्शन तो करते ही है, रानी विषया देवी के सती स्थल पर माथा जरूर टेकते है। रानी विषया देवी एवं राजा चन्द्रहास का जिक्र धार्मिक गंरथ विश्राम सागर में संक्षिप्त रूप से एवं धार्मिक ग्रंथ जैमिनी पुराण में अध्याय 41 से 62 तक विस्तार पूर्वक है।
ग्रामीण रूप सिंह ने बताया कि कोकलुपर, जिसे पहले कुन्तलपुर कहा जाता था, वह ऐतेहासिक नगरी है। पांडवों के दिग्विजय यज्ञ का घोड़ा कुन्तलपुर के राजा चन्द्रहास ने पकड़ लिया था। इस पर पाण्डु पुत्र अर्जुन और राजा चन्द्रहास के बीच युद्ध की स्थिती निर्मित हो गई, तब द्वारकाधीश श्री कृष्ण ने अपने दोनों भक्तों के बीच मित्रता करवाई और साढ़े तीन दिन तक श्री कृष्ण इसी गांव में रुके भी थे।
विधायक भी पहुंचे मत्था टेकने
मिठाई मेले में सिलवानी विधायक देवेन्द्र पटेल ने पहुंचकर रानी विषया देवी के सती स्थल पर पूजा अर्चना की। विधायक ने प्रसाद चढ़ाने और मत्था टेकने के बाद मन्न्त भी मांगी। मेले की समाप्ती पर ग्रामीण क्षेत्र के कई नेताओं के अलावा पूर्व ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह तोमर भी अपने साथियों के साथ मेले में पहुंचे।
रानी विषया देवी के सती स्थल पर मत्था टेकते क्षेत्रीय विधायक देवेन्द्र पटेल

