हथगोलों और हथियार सहित चार शिकारी गिरफ्तार

Staff Author
वन विभाग की सर्चिंग टीम को पारधी डेरों की छानबीन में मिली सफलता
अवैध शिकार रोकने के लिए बन अमले ने बढ़ाई चौकसी 

 
अरुण सिंह, पन्ना.


हथगोलों और हथियारों के साथ गिरफ्जार किए गए शिकारी
हथगोलों और हथियारों के साथ गिरफ्जार किए गए शिकारी
वन विभाग के अमले ने पारधी डेरों में औचक सर्चिंग की, जिसके नतीजे में 60 से अधिक हथगोलों और शिकार में इस्तेमाल होने वाले औजार सहित चार शिकारियों को गिरफ्तार किया गया है.
दरअसल, ठंड के दस्तक देते ही जंगल से लगे खेतों के आसपास शिकारियों की सक्रियता बढ़ गई है. खेतों में खड़ी फसल को चरने के लिए आने वाले वन्य जीवों का फंदा लगाकर या हथलोगों से बड़ी आसानी के साथ शिकार कर लिया जाता है. शिकार की इन अवैध घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग ने चौकसी बढ़ा दी है. इसी के नतीजे में जंगल के आस पास औचक निरीक्षण और तलाशी अभियान चलाया जा रहा है.
क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व आर.श्रीनिवास मूर्ति ने बताया कि मुखबिर पर आधारित पन्ना टाइगर रिजर्व के असूचना एवं विधिक प्रकोष्ठ को मिली सूचना के मुताबिक 25 नवम्बर को गंगऊ अभ्यारण्य व अजयगढ़ की ओर पाठा बसाटा गांव में पारधियों के डेरों की सर्चिंग की गई. पन्ना टाइगर रिजर्व के उडनÞदस्ता दल और वन अमले की संयुक्त तलाशी में हथगोलों का जखीरा बरामद हुआ. वन अमले ने मौके पर 61 हथगोले व कुछ औजार जब्त करने के साथ ही चार शिकारियों को भी गिरफ्तार किया है. वन अमले के हथे चढन वाले शिकारियों में ललार सिंह, गिलट सिंह, मिथुन लाल और रमना बाबू शामिल हैं.
 ललार सिंह के बारे में बताया गया है कि, यह पुराना शातिर शिकारी है. यह पूर्व में उत्तर वन मण्डल पन्ना के पीओआर प्रकरण क्रमांक 1161 / 13, दिनांक 11 नवंबर,2009 में सुअर के गोस्त सहित पकड़ा गया था. हथगोलों की बरामदगी और शिकारियों की गिरफ्तारी में परिक्षेत्र अधिकारी मड़ला संतोष मर्सकोले सहित परिक्षेत्र सहायक बकचुर, परिक्षेत्र सहायक मड़ला, परिक्षेत्र सहायक हरसा के अतिरिक्त उडनÞदस्ता दल के सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

हथगोलों से होती है दर्दनाक मौत
फसल सीजन में जब खेत हरे भरे होते हैं, उस समय वन्य जीवों से फसल नुकसानी को बचाने अथवा शिकार के उद्देश्य से खेतों के आसपास फंदा लगा देते हैं, जिसमें वन्य जीव फंस जाते हैं. पारधी समुदाय के लोग शिकार करने के लिए जंगल व खेतों में विशेष रूप से निर्मित हथगोले रख देते हैं. इन हथगोलों को खाने की चीज समझ वन्य जीव जब मुंह में रखकर दबाते हैं तो हथगोला फट जाता है. इससे वन्य प्राणी की दर्दनाक मौत होती है. कई बार तो आधा जबड़ा फटा होने के बाद भी वन्य प्राणी कई दिनों तक दर्द से तड़पते हुए जंगल में घूमता रहता है और खाना नहीं खा पाने और अधिक खून बहने से मौत होती है. इन खतरनाक हथगोलों की चपेट में यदा-कदा पालतू मवेशी भी आ जाते हैं, फलस्वरूप उनकी दर्दनाक मौत हो जाती है. शिकार की ऐसी घटनाओं पर प्रभावी रोक लगाने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व का अमला हर समय चौकस रहता है, जिससे काफी हद तक शिकार पर अंकुश लगा है.