या अल्लाह! हमारे गुनाहों को माफ कर...

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सामूहिक दुआ के साथ तीन दिनी आलमी तब्लीगी इज्तिमा का समापन
सामूहिक दुआ में करीब 10 लाख जमातियों के शामिल होने अनुमान

अशफाक खान, भोपाल


 ऐ अल्लाह, हम बेशक गुनाहगार, खतावार हैं, तेरे हुक्मों की नाफरमानी करते हैं.... लेकिन मौला हम जैसे हैं, तेरे बंदे हैं... तू रहम करने वाला है, करम करने वाला है, माफी को पसंद करने वाला है.... ऐ खुदा, हमारे गुनाहों को भी माफ कर दे...। ऐ अल्लाह हम पर रहम और करम फरमा दे... देश-दुनिया में अमन और चैन की हवाएं चला दे... इस इज्तिमा को कुबूल फरमा ले... हमारी दुआओं को नबी के सदके में कुबूल फरमा ले...।
आलमी तब्लीगी इज्तिमा के आखिरी दिन सोमवार को मौलाना जुबेर हसन कांधलवी साहब ने लाखों जमातियों की मौजूदगी में जब यह दुआएं मांगी तो सारा मजमा आमीन की आवाज से गूंज गया। दोपहर 12.54 बजे मौलाना जुबेर ने दुआ मांगनी शुरु की, जो निरंतर 25 मिनट तक चलती रही। जिस वक्त मौलाना जुबेर साहब ने दुआ करनी शुरु की, माहौल में पूरी तरह खामोशी का माहौल बन गया। हर तरफ महज मौलाना की आवाज ही गूंज रही थीं। बीच में कोई आवाज सुनाई देती थी, तो वह सिर्फ लोगों के आमीन कहने की।
सोमवार अल सुबह से हर शख्स इज्तिमागाह का रुख किए हुए दिखाई दे रहा था। सडक पर पैदल चलने वाले इंसानों के हुजूम का जज्बा और जुनून देखते ही बनता था। छोटे-बडे सैकडों वाहनों का रुख भी इज्तिमागाह की तरफ था। भोपाल टॉकीज से ईंटखेडी तक सिर्फ जमाती ही जमाती नजर आ रहे थे। इज्तिमागाह पर जिसे जहां जगह मिली, वह वहीं बैठ गया। करीब 30 एकड़ में बना विशाल शामियाना भी लोगों की तादाद के मुताबिक कम दिखाई दे रहा था। आखिरी में इज्तिमा इंतजामिया कमेटी के मोहम्मद हफीज, अतीक उल इस्लाम, आगा अब्दुल कय्यूम आदि ने इंतजाम बनाने में सहयोग करने वालों का शुक्रिया अदा किया।

अल्लाह के तकाजों को पूरा करो
मौलाना जुबेर साहब ने दुआ से पहले मुख्तसर बयान दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि इंसान दुनिया में आकर मायाजाल में उलझ गया है। जिसके चलते वह दुनिया में आने के सही मकसद को भूल गया है। उसकी यही गलती उसे कई परेशानियों से घेर रही है। जिस दिन बंदा अल्लाह के तकाजों को समझकर उसके बताए रास्ते पर चलने लगेगा, वह न सिर्फ दुनिया में कामयाब हो जाएगा, बल्कि आखिरत उसके लिए जन्नत के तोहफे के साथ सजी होगी। इसके बाद उन्होंने इज्तिमा से जमातों में निकलने वालों को जमात के दौरान किए जाने वाले कामों, व्यवहार और लोगों से बात करने के तरीके सिखाए।

दावात के साथ इबादत जरुरी
दुआ से पहले तब्लीगी मरकज दिल्ली के मौलाना साअद साहब ने फरमाया कि दुनिया में इंसान की जिंदगी चंद दिनों की है, लेकिन मरने से पहले अगर अपने आमाल सुधार ले तो उसकी कभी मौत नहीं होती। दुनिया में नेकी और भलाई के साथ ईमान वाली जिंदगी जिए तो उसका ठिकाना जन्नत है। इंसान को चाहिए कि, बेईमानी से बचे और सिर्फ अल्लाह के बताए रास्ते पर ही चले। दावत के साथ इबादत भी जरुरी है, अल्लाह अपने हुक्म मानने वालों से खुश होता है।

जमातों को किया रवाना
दुआ के बाद मौलाना जुबेर और मौलाना साअद के मुसाफा करने के बाद जमातों में शामिल हजारों जमाती अल्लाह के रास्ते में इस्लाम की तब्लीग के लिए रवाना हो गए। इन सभी को ताकीद की गई कि, अपने आमाल पर ध्यान रखें, क्योंकि उनको देखने के बाद ही दूसरों पर असर होगा। इनके अलावा विदेशी जमातों को अभी शहर की ही मस्जिदों में रोका गया है, जिनको फ्लाइट और ट्रेन के रिजर्वेशन के हिसाब से रवाना किया जाएगा।

शुरु हो गया इज्तिमा बाजार
तीन दिनी आलमी तब्लीगी इज्तिमा खत्म होने के बाद सोमवार शाम से इज्तिमा बाजार का आगाज हो गया है। ताजुल मसाजिद पर लगने वाला यह बाजार करीब एक माह तक रहेगा। इस बाजार को खासतौर पर गर्म कपडों और मुरादाबादी बर्तनों की वजह से पहचाना जाता है। यहां हलुवा माण्डा, सोहन हलुवा, बिरयान, हलीम आदि खानपान के स्टॉल भी मौजूद हैं, जिन खासी भीड़ है।

झलकियां

-दुआ खत्म होने के बाद जमातियों को अलग-अलग पारियों में रवाना किया गया। पहले पैदल यात्रियों को इज्तिमागाह से निकलने का रास्ता दिया गया। उसके बाद दो पहिया और चार पहिया वाहनों को छोडा गया। बडे वाहनों के लिए शाम का समय तय किया गया।
-ईंटखेडी के पास बने नए बायपास रोड के कारण इस बार वाहनों को शहर तक पहुंचने में ज्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पडा।
-देर दोपहर इज्तिमागाह से निकलने वाले जमातियों की वापसी का सिलसिला देर रात तक जारी रहा।
-रेलवे स्टेशन, बस स्टेण्डों पर जमातियों की भीड बढ गई है। रेलवे ने दिल्ली, मुंबई और उत्तर तथा दक्षिण भारत की तरफ जाने वाली कई गाडियों में अतिरिक्त कोच लगाए हैं। इधर बस स्टेण्डों से भी कई मार्गो पर अतिरिक्त बसें चलाई जा रही हैं।
-शहर के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में अधिकांश दुकानें सोमवार को बंद रहीं, जिससे इन क्षेत्रों में कम चहल-पहल दिखाई दी।
-दुआ में शामिल होने के लिए कर्मचारियों के चले जाने के कारण सरकारी दफतरों में भी आम दिनों की बनिस्बत हाजिरी कम रही।
-विदेशी मेहमानों ने इज्तिमा के दौरान किए गए सुरक्षा इंतजामों और मुहैया करवाई गई सुविधाओं पर तसल्ली जाहिर की।
-इज्तिमागाह पर सोमवार को भी किसी मोबाईल नेटवर्क ने साथ नहीं दिया। नेटवर्क जाम हो जाने से जमाती खासे परेशान हुए।
-दुआ के बाद जमातियों के वापस घरों तरफ जाने के चलते शहरभर में हर तरफ टोपियां ही टोपियां नजर आ रही थीं।